आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं, और इसका धार्मिक महत्व बहुत खास माना जाता है। शरद पूर्णिमा की इस रात को कोजागिरी भी कहते हैं और अलग-अलग स्थानों पर इस पर्व से जुड़ी परंपराएं अलग-अलग होती हैं। बंगाली समुदाय से जुड़े लोग इसे कोजागरा भी कहते हैं और सारी रात जाग कर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। वहीं उत्तर भारत में शरद पूर्णिमा पर खीर बनाकर रात की चांदनी में रखने का प्रचलन है। वहीं बिहार के मिथिलांचल के लोग इसे कोजागिरी के नाम से पुकारते हैं। यहां शरद पूर्णिमा का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी खास बातें और परंपराए । इस रात को नवविवाहित पुरुषों के घर में उत्सव जैसा माहौल होता है। यहां इस दिन दूल्हे का विशेष परंपराओं के साथ पूजन किया जाता है। यहां इस दिन मिठाई, मखाना, मछली और कौड़ी के साथ पूजन किया जाता है। यहां इस दिन वधु के परिवार की तरफ से दूल्हे और उसके घर वालों के लिए उपहार आते हैं। लोग एक-दूसरे को सुपारी और मखाना देकर बधाई देते हैं। इस दिन यहां के लोग नवविवाहित जोड़े को दही लगाकर उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का आशीष देते हैं।
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